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Jain Dharm - Mahaveer Swami History

Jain Dharm - Mahaveer  Swami 

                


  • जैन धर्म के संस्थापक एवं प्रथम तीर्थांकर थे- ऋषभदेव

    जैन धर्म में कुल तीर्थांकर हुए हैं- 24

    जैन धर्म के प्रथम तीर्थांकर थे- ऋषभदेव

    जैन धर्म के 23वें तीर्थांकर थे- पार्श्वनाथ

    जैन धर्म के 24वें तीर्थाकर थे- महावी स्वामी

  • महावीर स्वामी

  • महावीर स्वामी का जन्म हुआ था- 540 ई0पू0  में

    जन्मस्थान     -          कुण्डलग्राम(वैशाली)

    बचपन का नाम        -   वर्द्धमान

    पिता का नाम         -  सिद्धार्थ

    माता का नाम         -   त्रिशाला

    पत्नी का नाम         -   यशोदा

    बेटी का नाम          -   प्रियदर्शनी

    बड़े भाई का नाम      -   नंदिवर्धन

    महावीर स्वामी को ज्ञान की प्राप्ति हुई ऋजुपालिका नदी के किनारे साल वृक्ष के नीचे।

    ज्ञान प्राप्ति के बाद महावीर स्वामी के कहा जाने लगा- जिन, अर्हत, निग्रन्थ

    जैन धर्म में सम्पूर्ण ज्ञान की प्राप्ति को कहते हैं- कैवल्य

    महावीर ने अपना उपदेश दिया-प्राकृत भाषा में।
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  • महावीर स्वामी ने अपना पहला उपदेश किस जगह दिया- राजगीर में।

महावीर स्वामी ने जैन संघ की स्थापना करी थी - पावापुरी में

  • महावीर के अनुयायियों को कहा जाता था- निग्रन्थ

  • महावीर स्वामी का प्रथम अनुयायी - जामिल

  • पंच महाव्रत या पंचअणुव्रत  का सम्बन्ध है- जैन धर्म से

  • प्रथम जैन भिक्षुणी थी- चम्पा

  • जैन धर्म के तीन रत्न थे- सम्यक ज्ञान, सम्यक श्रद्धा, सम्यक आचरण

  • जैन साहित्य का प्रमुख ग्रन्थ है- कल्पसू़त्र

  • कल्पसूत्र की रचना संस्कृत भाषा में की थी- भद्रबाहु ने

  • जैन धर्मग्रन्थों को कहा जाता है- अंग

  • प्रथम जैन संगिति हुई थी- पाटलीपुत्र में

  • द्वितीय जैन संगिति हुई थी- वल्लभी में

  • प्रथम जैन संगिति के बाद जैन धर्म दो भागों में बंटा-श्वेताम्बर,दिगम्बर

  • महावीर स्वामी की मृत्यु हुई थी-पावापुरी में,468 ई0पू0में

  • दक्षिण भारत में प्रसिद्ध जैन केन्द्र है- श्रवणबेलगोला में

  • चंदेल शासकों ने खुजराहो में जैन मंदिरों का निर्माण कराया था।

  • दिलवाड़ा के जैन मन्दिरों का निर्माण चालुक्यों/सोलंकियों ने किया